Friday, June 29, 2012

शादी के समारोह में चल रही थी विदाई .....
दुल्हे के साथ-साथ चल रहीं दुल्हन थी कुछ घबराई.............
रोती हुईं दुल्हन को दूल्हा चुप किये जा रहा था.....
तुम्हे रखूँगा सदा खुश,  ये वादे किये जा रहा था......
जैसे  ही  दूल्हा ने दुल्हन को कार में बैठाया......
तभी किसी ने दुल्हे के मोबाइल पर काल मिलाया.....
दुल्हे के मोबाइल पर रिंगटोन बजने........
तो दुल्हन के दिल की धड़कन तेज़ी से धड़कने लगी.....
वो कार से उतरी और दुल्हे के  गाल पर दिया खींच के चांटा.....
और उसके  बाद दुल्हे को अच्छी तरह डांटा......
सभी थे हैरान-परेशान, ये घटना क्या घटी.....
वास्तव में दुल्हे के मोबाइल पर ये रिंगटोन थी बजीं.....
""दिल में  छुपा के प्यार का तूफ़ान ले चले,""
""हम आज अपनी मौत का सामान ले चले..""




दिल में ज़ख्मों को दबाया ना करो I
सोये ज़ज्बातों को जगाया न करों II

गुजरतें हैं जिन्दगीं में कुछ हसीन लम्हें I
उन लम्हों को दिल  से भुलाया ना करों II

कब होते हैं पुरे अरमान दिल के I
जागती आँखों से ख्वाब सजाया ना करो I

`हर मंज़र में बेवफाई नज़र आती हैं I
दासता दास्ताँ वफां की सुनाया ना करो II

हर शख्स होता नहीं यकीन के काबिल I
हर शख्स को  घर पर बुलाया ना करो II

मौत तो तो आती हैं एक दिन सभी को "सिद्धू "I
जिन्दगीं की झूठीं उम्मीदें बंधाया न करो II 

Wednesday, June 27, 2012





पहले वो हँसता था, खूब बोलता था .
तमाम छोटे बड़े पलों को पलों में जोड़ता था,
शायद तब ............!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
अनभिग्य था अंजान था ,......!!
 सारे रिश्तों-नातों से ,.....
बेपरवाह था ज़िन्दगी से.........
वो नादाँ था.....!!!
जो लोगों को ज़िन्दगी जिलाया करता था...
मगर अब..........!!!!!!!!!!!!
वो खामोश हैं,.......मौन हैं.......ग़मगीन हैं.....!
शायद ज़िन्दगी  के मायने समझ गया हैं.....
इसलिए बुरी तरह टूट गया हैं.............!!!!
                     _____________सिद्धू ______



मेरे  होठो के  महकते  हुए नगमो पे ना............
 मेरे  सीने  में  कई तरह के गम  भी  पलते  हैं..........
मेरे चेहरे पे दिखावे का तब्बसुम हैं मगर.........
मेरे दिल में उदासी के दिए जलते हैं ........

मेरे  होठो के  महकते  हुए नगमो पे ना जा  
मेरे  सीने  में  कई तरह के गम  भी  पलते  हैं
मेरे चेहरे पे दिखावे का तब्बसुम हैं मगर
मेरे दिल में उदासी के दिए जलते हैं ........ 

Tuesday, June 26, 2012

Unki kismat ka bhi kaisa sitara hoga *****
jinko meri tarhaa Takdeer ne mara hoga .......
Kinaare par baithe log kya jane ........
Dooobne waale ne kis kis ko pukara Hogaa ......

Khamoshee

Rahne Do Is Khamoshee Ko Mere Aur Apne Bich

Ik Fasle Ki Tarah..

Shayad Ye Khamoshee Hamare Bolo se Jyaadaa Bole

Aur Duriyaa Rah Jaaye Sirf Kareeb Aane Ke Liye.....