दिल में ज़ख्मों को दबाया ना करो I
सोये ज़ज्बातों को जगाया न करों II
गुजरतें हैं जिन्दगीं में कुछ हसीन लम्हें I
उन लम्हों को दिल से भुलाया ना करों II
कब होते हैं पुरे अरमान दिल के I
जागती आँखों से ख्वाब सजाया ना करो I
`हर मंज़र में बेवफाई नज़र आती हैं I
दासता दास्ताँ वफां की सुनाया ना करो II
हर शख्स होता नहीं यकीन के काबिल I
हर शख्स को घर पर बुलाया ना करो II
मौत तो तो आती हैं एक दिन सभी को "सिद्धू "I
जिन्दगीं की झूठीं उम्मीदें बंधाया न करो II
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