Friday, June 29, 2012





दिल में ज़ख्मों को दबाया ना करो I
सोये ज़ज्बातों को जगाया न करों II

गुजरतें हैं जिन्दगीं में कुछ हसीन लम्हें I
उन लम्हों को दिल  से भुलाया ना करों II

कब होते हैं पुरे अरमान दिल के I
जागती आँखों से ख्वाब सजाया ना करो I

`हर मंज़र में बेवफाई नज़र आती हैं I
दासता दास्ताँ वफां की सुनाया ना करो II

हर शख्स होता नहीं यकीन के काबिल I
हर शख्स को  घर पर बुलाया ना करो II

मौत तो तो आती हैं एक दिन सभी को "सिद्धू "I
जिन्दगीं की झूठीं उम्मीदें बंधाया न करो II 

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