Wednesday, June 27, 2012





पहले वो हँसता था, खूब बोलता था .
तमाम छोटे बड़े पलों को पलों में जोड़ता था,
शायद तब ............!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
अनभिग्य था अंजान था ,......!!
 सारे रिश्तों-नातों से ,.....
बेपरवाह था ज़िन्दगी से.........
वो नादाँ था.....!!!
जो लोगों को ज़िन्दगी जिलाया करता था...
मगर अब..........!!!!!!!!!!!!
वो खामोश हैं,.......मौन हैं.......ग़मगीन हैं.....!
शायद ज़िन्दगी  के मायने समझ गया हैं.....
इसलिए बुरी तरह टूट गया हैं.............!!!!
                     _____________सिद्धू ______

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