Wednesday, July 11, 2012



सोचते-सोचते क्यू आँख भर आई ।
यादों के घरोंदो से फिर उनकी याद आई ।।
दर्द से रिश्ता अश्को से नाता ।
यह कैसी मुहब्बत की सज़ा पाई ।।
सजाकर ख्वाब कुछ अधूरे हमने ।
क्यूँ ज़िन्दगी की चिता जलाई ।।
करके उसने बेवफाई हमसे ।
वफ़ा की अच्छी रीत निभाई ।।
करते हैं इंतजार "सिद्धू" आने का उनके ।
राहों में उनकी हमने  पलके बिछाई ।।

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