आज की आज़ाद ख्याल पैदाशाइश इतनी आज़ाद हो गयी है की वह आज़ादी ही भूल गयी है, हर वो बात जो उनके जीवन में उन्हें दखल-अंदाज़ लगे नापसंद होती है नागवार गुजरती है, कोई कैसे उन्हें सलाह दे सकता हैं अरे मजाल है ज़नाब अगर वो पलट कर ज़वाब न दे दे तो कहना , कहना क्या भुक्त-भोगी होंगे मगर अफ़सोस की ज़बान नहीं खुलती क्या करे औलाद जो ठहरी,
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