Wednesday, July 4, 2012




दिल में तूंफा आँखों में दरिया लिए बैठे है I
शहरे हवादिस में उम्मीदें दुनिया लिए बैठे हैं  II(शहरे हवादिस - शहर के हादसे)

वक़्त दहलीज़ पे दस्तक देकर चला  गया I
हम यंहा इंतजार की बेड़ियाँ लिए बैठे हैं II

ग़ुरबत में जीना आंसा न था मगर I(ग़ुरबत - गरीबी,लाचारी)
जीने का बस यही जरिया लिए बैठे हैं II

इक मुक़म्मल तबस्सुम तक बिक गई क़र्ज़ तले I
अपने वतन में उधार की खुशिया लिए बैठे हैं II

मज़हब के परस्तारो की बाते छोड़िये ज़नाब I(परस्तारो - ठेकेदार, पुजारी)
वो आज भी ज़माने में दुरिया लिए बैठे हैं II

लोग कहते हैं बड़ा दिलचस्प खेल हैं राजनीति I
यानि की "सिद्धू" काम हम बढ़िया लिए बैठे हैं II
______________________सिद्धू _________

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