Sunday, July 15, 2012


*********मन क्यु आज उदास हैं*********

मन क्यु आज उदास हैं...!!
शायद किसी समस्या के आसपास हैं..

ये ज़िन्दगी की बेलगाम भागदौड
बिखरे सपने, अधूरी प्यास, टूटा मन,..
थकते तन, बिखरती सांस,
जैसे मज़बूरी आत्मा का लिबास हैं ...।
मन क्यु आज उदास हैं .....!!

सुकून है..! कि हंवा का भंवर...!
न यहाँ ठहरता ह न  वंहा..!
लरजते हाथ,पेशानी पे सिलवटे,
जैसे लाचारी का एहसास हैं...।
मन क्यू आज उदास हैं.....!!

 कभी सूखे, कभी भीगे,...!
जीवन के दिन ऐसे ही बीते....
हमारे पैरो में ज़मीं,
सर पे सारा आकाश हैं....।
मन क्यु आज उदास हैं.....!!

घर बड़ा तो हैं "सिद्धू" मगर ...
कितना खामोश, कितना वीरान...
इसका हर कोना रहता हैं...
जैसे इसे अपनों की तलाश हैं ......।
 मन क्यु आज उदास हैं.....!!
___________सिद्धू________

1 comment:

संध्या शर्मा said...

ये भी जीवन का एक रंग है. शुभकामनायें...